आँखों में आंसू लिए ज़िन्दगी जिए जा रहा हूँ ज़िद न मिलने वाली मुक़ाम की किए जा रहा हूँ जीवन की हर राह में इम्तिहान दिए जा रहा हूँ जब भी देखता हूँ अतीत को बस मुस्कुराए जा रहा हूँ जहां उम्मीद है जीने की ,धीरे धीरे मरे जा रहा हूँ सफ़लता हैं पर वक़्त नही, इसी गम को छुपाये जा रहा हूँ भीड़ भरपूर , उसमे ग़ुम, अदृश्य तस्वीर बने जा रहा हूँ साथ बहुत है फिर भी तन्हा सा होते जा रहा हूँ उठा कर जिम्मेदारियां अपनों से दूर चले जा रहा हूँ जहां उम्मीद है जीने की ,धीरे धीरे मरे जा रहा हूँ M K Manish # lifeexperience @