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कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्र

कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।।
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।।
तुम हिन्दू-मुस्लिम भाई हो,वो भड़काता दंगा द्वेष प्रिये।।
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।।

वो लजधर अमीर की बेटा है,तुम बलात्कार की पीड़िता हो।
वो सनसनी खेज खुलासा है,तुम फटाफट की खबरें हो।
वो बलात्कारी साफ सुधरा,तुम कपड़ों में भी निर्लज्जा हो ।
वो अपने घर का दीपक है, तुम जलती हुई किटपतंगा हो ।
 
कितना भी तुम चीख़-चीख़ उन पर आरोप लगाओगी।
कैंडल मार्च करोगी पर इंसाफ़ कभी ना पाओगी।
वो आज़ाद निर्भीक घूमेगा,तुम दोगी दम तोड़ प्रिये ।
कैसे विकसित हो देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।

वो बेरोजगारी का लॉलीपॉप, तुम भूखे बेरोजगार प्रिये।
वो बिना पढ़े सत्ता भोगी,तुम पढ़ लिखकर बेकार प्रिये ।
वो 370 की धारा है,तुम पत्थर खाते जवान प्रिये ।
वो नेता जी की बेबाक बात,तुम बम में होते विस्फ़ोट प्रिये।

तुम देश की अर्थव्यवस्था हो,वो देश बेचकर खाते है ।
तुम भोली भाली जनता हो,वो नेता का झूठा वादा है।
तुम बीपीएल कार्ड का राशन हो,वो चोरी करता गल्ला है।
तुम सीधा साधा सा किसान, वो ग्राम प्रधान निठल्ला है।

अगर इस तरह चुप-चुप कर, तुम सब कुछ सहते जाओगे।
तो एक रोज़ सेवक बनकर,वो चुना तुम्हें लगायेंगे।
नीरव मोदी के जैसा वो भागेगे  विदेश प्रिये।
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।।
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।।
तुम हिन्दू-मुस्लिम भाई हो,वो भड़काता दंगा द्वेष प्रिये।।
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।।

वो लजधर अमीर की बेटा है,तुम बलात्कार की पीड़िता हो।
वो सनसनी खेज खुलासा है,तुम फटाफट की खबरें हो।
वो बलात्कारी साफ सुधरा,तुम कपड़ों में भी निर्लज्जा हो ।
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।।
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।।
तुम हिन्दू-मुस्लिम भाई हो,वो भड़काता दंगा द्वेष प्रिये।।
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।।

वो लजधर अमीर की बेटा है,तुम बलात्कार की पीड़िता हो।
वो सनसनी खेज खुलासा है,तुम फटाफट की खबरें हो।
वो बलात्कारी साफ सुधरा,तुम कपड़ों में भी निर्लज्जा हो ।
वो अपने घर का दीपक है, तुम जलती हुई किटपतंगा हो ।
 
कितना भी तुम चीख़-चीख़ उन पर आरोप लगाओगी।
कैंडल मार्च करोगी पर इंसाफ़ कभी ना पाओगी।
वो आज़ाद निर्भीक घूमेगा,तुम दोगी दम तोड़ प्रिये ।
कैसे विकसित हो देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।

वो बेरोजगारी का लॉलीपॉप, तुम भूखे बेरोजगार प्रिये।
वो बिना पढ़े सत्ता भोगी,तुम पढ़ लिखकर बेकार प्रिये ।
वो 370 की धारा है,तुम पत्थर खाते जवान प्रिये ।
वो नेता जी की बेबाक बात,तुम बम में होते विस्फ़ोट प्रिये।

तुम देश की अर्थव्यवस्था हो,वो देश बेचकर खाते है ।
तुम भोली भाली जनता हो,वो नेता का झूठा वादा है।
तुम बीपीएल कार्ड का राशन हो,वो चोरी करता गल्ला है।
तुम सीधा साधा सा किसान, वो ग्राम प्रधान निठल्ला है।

अगर इस तरह चुप-चुप कर, तुम सब कुछ सहते जाओगे।
तो एक रोज़ सेवक बनकर,वो चुना तुम्हें लगायेंगे।
नीरव मोदी के जैसा वो भागेगे  विदेश प्रिये।
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।।
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।।
तुम हिन्दू-मुस्लिम भाई हो,वो भड़काता दंगा द्वेष प्रिये।।
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।।

वो लजधर अमीर की बेटा है,तुम बलात्कार की पीड़िता हो।
वो सनसनी खेज खुलासा है,तुम फटाफट की खबरें हो।
वो बलात्कारी साफ सुधरा,तुम कपड़ों में भी निर्लज्जा हो ।