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मान भी ले कि दुनिया इक़ बाज़ार है सबको खरीदे जाने का

मान भी ले कि दुनिया इक़ बाज़ार है
सबको खरीदे जाने का ही इंतेज़ार है
.
आईने सच बोल ही देते हैं इक़ दिन
टूट के बिखर जाने के तेरे आसार हैं
.
दिल्लगी ठीक गर दर्द न बन जाये तो
खेल खेलिए भी इश्क़ के तो बेशुमार हैं
.
दिल थाम के कितने ही बैठे मलाल में
कितने हुए बेज़ार हैं कितने लाचार हैं
.
धीर भी क्या जाने किस सफ़र में गुम है
मिल मुझे कि मेरा पता मेरे अशआर हैं
.
 अशआर
मान भी ले कि दुनिया इक़ बाज़ार है
सबको खरीदे जाने का ही इंतेज़ार है
.
आईने सच बोल ही देते हैं इक़ दिन
टूट के बिखर जाने के तेरे आसार हैं
.
दिल्लगी ठीक गर दर्द न बन जाये तो
खेल खेलिए भी इश्क़ के तो बेशुमार हैं
.
दिल थाम के कितने ही बैठे मलाल में
कितने हुए बेज़ार हैं कितने लाचार हैं
.
धीर भी क्या जाने किस सफ़र में गुम है
मिल मुझे कि मेरा पता मेरे अशआर हैं
.
 अशआर