#अपना_घर जानकर अपना भविष्य काम के बहाने गई थी सुरक्षित करने अपनी सीट पर वहाँ कोई खाली जगह नहीं था खुद खाना कई दिनों से खाई नहीं थी... मगर लेकर खाने का सामान गई थी सच थी और झूठ की पैसे वाली दिखती थी कई साल बिते स्थिति वही हैं सच कहने की अब भी हिम्मत नहीं हैं सच खोटे सिक्के की तरह हैं जो कहीं चलता नहीं हैं .... ©Prerna Singh #PARENTS