बड़े-बड़े सूरमाओं की बह जाती तूफ़ान में नौका, फेंके आकर गेंद धुरंधर पड़ जाती है चौका-छक्का, घटे अनायास कुछ ऐसा हो जाए संसार अचंभित, बड़े-बड़े वैज्ञानिक ज्ञानी रह जाते हैं हक्का-बक्का, सत्य सूर्य सा ही चमकेगा रोक नहीं पाएंगे बादल, झूठा फँस जाएगा एकदिन अपनी ही बातों में पक्का, कण-कण में है शक्ति यही बतलाते ऋषि-मुनि ध्यानी, ईश्वर हैं सर्वत्र ढूँढ लो चाहे मथुरा, काशी, मक्का, मन का असंतोष होता है ख़तरनाक आँधी के जैसा, हृदय घात करवा सकता है रक्त में जैसे छोटा थक्का, जिनकी खिदमत में जीवन का स्वर्णिम दिन बीता गुंजन, होती अनदेखी अपनों से आहत मन को लगता धक्का, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #बह जाती तूफ़ान में नौका#