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शेयर बाजा़र,नौकरी और मैं। बी.काॅम फाइनल ईयर था। Fi

शेयर बाजा़र,नौकरी और मैं। बी.काॅम फाइनल ईयर था। Final exams लिख कर relax थी जिंदगी। मे महीना खत्म होते ही सोंचा अब तो जिंदगी में ठहराव चाहिए। क्यों न Job कर लिया जाए। पर Job मिल जाएगी लेकिन कुछ vocational or professional courses किया जाए तो better रहेगा। हमारे यहाँ उस समय LCC (Lakhotia computer courses) काफी famous था। उसकी कईं branches थी पूरे city में। Scholarship exams लिखी।  और 50% scholarship ही मिल पाई। बाकी fees job कर के जुटाने की ठानी। पर course का timing 6-12 था। मुझे 12 बजे की job देगा कौन? सवाल खडा हो गया।  हमारी बस्ती में ही रहने वाले राठी परिवार का share broker business था। पर उन्हें बस्ती छोडे़ काफी समय हो गया था। उनके यहाँ try करने की सोंची। 
अगले दिन आॉफीस पहुँची। देखा माहौल बहुत गँभीर है। किसी के पास फुर्सत ही नही किसी को देखने की। सब अपने में मगन। Reception पर पूछा  Is there  any vacancy? I need a job? Receptionist ने घूर कर देखा मानो उसी की post मैं माँग रही हूँ। मुझे तो Job केसे ढूँढनी है वह भी पता नही था। बस पूछ लिया किस्मत आज़माने। उसने कहा फिलहाल तो नही है,आप  resume दे दीजिए। हम inform कर देंगे if we need. मैंने  Resume submit किया और उदास होकर निकलने लगी। तभी entrance में मिले "राम सर"। वो मुझे पहचानते नही थे। पर मैं बचपन से उन्हे देखती थी। हमारे घर से दो तीन घर छोडकर उनका घर था। वो लोग famous थे पूरी बस्ती में क्योंकी सबसे ज्यादा आवाज़ वही लोग करते थे। बच्चे से लेकर बूढे तक हर कोई चिल्ला चिल्ला कर बाते करता था। दूसरे फ्लोर से नीचे तक क्या 
-क्या लाना है किराणा की लिस्ट सबको पता चल जाती थी। उस समय mobile phones नये-नये निकले थे हर कोई afford नही कर पाता था। outgoing calls और incoming calls दोनों पर charges लगते थे। उनके घर की महिलाएँ घूँघट में ही गाडियाँ चलाती थी,और झगडा़ भी करती थी जमकर भाजीवाले से या किसी और से। यही एक attraction का केंद्र था। 
मैंने राम सर को देखते ही पूछा कैसे है आप। उन्होंने कहा sorry मैंने तुझे पहचाना नहीं। मैंने अपना परिचय दिया। सुनते ही मेरे बारे में वे बडे़ खुश हुए और आने का कारण पूछा। उनको किसी भी हाल में मुझे नौकरी पर रखना था। यह जानते हुए भी कि कोई vacancy नही है और मैं 9-5 full time की नौकरी नही चाहती तब भी। सर ने अपने भाई गोविंद से बात की। गोविंद सर की वजह से ही वह Business टिका हुआ था।  उनका dedication level ही अलग था। उनके partner जाजू सर थे। पर कारोबार जो चल रहा था उसके सूत्रधार गोविंद सर थे। गोविंद सर ने ना कहा सब कुछ जानने के बाद भी। पर राम सर जिद पर अडे रहे। कहने लगे ये लडकी मुझे मेरे आॉफिस में चाहिए तो चाहिए।  दोनों भाईयों की बहस के बारे में सुन मैं guilty feel करने लगी। Reception area में मुझे कोई बता रहा था। गोविंद सर मान गये पर salary कम देने की बात करने लगे। राम सर ने कहा मुझसे join कर ले । आगे देख लेंगे। मुझे लगा इतनी बहस के बाद मेरा ना बोलना अहसानफरामोशी कहलाएगा। मैंने हाँ कह दी।
अगले दिन job पर मेरा किसी ने बढ चढ कर welcome नही किया। मुझे HSE (Hyderabad Stock Exchange) में रखा गया। NSE(National  Stock Exchange) BSE(Bombay Stock Exchange) ऊपर थे। यहाँ ज्यादा कुछ काम नही होता था। थोडा़ सा स्टाफ था,वो भी काफी नकचढे़ ।बात नही करते थे,मानो मुँह खोलते ही सारी tips and tricks,share market से जुडे़ बिखर जाएँगे।  मैं सीख रही थी। राम सर के पास जितना ज्ञान था वो मुझे बाँट रहे थे। वो कह रहे थे एक दिन ऐसा आएगा तू Terminal सँभालेगी और तेरे चारों ओर clients खडे़ होकर तुझसे  madam please,madam please कहेंगे। मुझे तो Terminal देखते ही चक्कय आने लगता था ,कुछ समझ में नही आता था। screen fluctuate होता रहता था। Red and blue numerical figures दिखते थे बस इतना ही। एक दिन ऊपर के section के staff कम आए थे। मुझे call कर ऊपर बुलाया गया। ऊपर जाने के लिए थोडी झिझक हो रही थी, फिर भी जाना तो था। मुझे checks की entries करने बोला गया और उन्हे  bank में deposit करना था तो acknowledgement receipt भरने कहा गया। मैंने फटाफट कर दिया। बाद में printer use कैसे करते है वह सिखाया गया। मैंने सीख लिया। ऐसे ही अब रोज़ कुछ समय के लिए ऊपर जाती थी और कुछ सीखकर आती थी। एक हफ्ते में ही मैंने काफी कुछ सीख लिया। Fax machine में paper insert करना। Fax भेजना, confirmation calls देनाclients को काफी कुछ। गोविंद सर मेरी हरकत को मेरे हर काम को note कर रहे थे। मुझे उन्होंने  Bcomplex की गोली का नाम दिया था। clients को कहते थे राम भाई की शागिर्द है पहली जिसने अपने आपको साबित किया। इसे जो भी सिखाओ जल्दी सीख लेती है। अब मुझे NSE terminal पर बिठाने की सोच रहे थे। समीना और स्वरा ये दो लडकियाँ थी जो उस आॉफिस की जान थी। उनके बिना आॉफिस चलना नामुमकिन था। बस calls पर आवाज़ सुनते ही बिना नाम जाने उनका कोड़ डाल order किए हुए share लेती थी। ऊँगलियाँ मानो दिनभर डाँस करती थी उनकी बिना रुके। Market की उछाल जैसे जैसे बढे़ उन्हे उतनी ही तेजी से हाथ बढाना पडता था। इस माहौल को देख मेरे पसीने छूट जाते थे ।क्या मैं कर पाऊँगी ? मार्केट की तेजी में अगर आप एक भी 0 extra डाल दो तो काफी नुकसान हो जाता है। एक एक second मायने रखता है। मुझसे भी गलतियाँ हुई काफी । मैंने 8000₹ वाले 100 shares खरीदने की जगह 1000 shares खरीद डाले। कभी कम खरीद डाले,पर गोविंद सर बैठते थे बाजु में और सब ठीक करवा देते थे। गोविंद सर मुझसे काफी खुश रहने लगे। पैसों से भरे बडे़-बडे बैग मेरे पास रख जाते थे। मेरी salary भी बढा़ दी दो महीनों में ही। दूसरी लडकियाँ मुझसे जलने लगी। मुझे lunch time पर या खाली time पर बैठने के लिए जगह नही देती थी। अच्छा बर्ताव नही करती थी। उनका behaviour देख मैं रोने लग जाती थी। एक दिन ऐसा ही कुछ हुआ सर मुझे कुछ काम के लिए बुलाने आए और मैं आँखों में आँसू लिए बैठी थी।  Sir ने तब एक बात कही। मुन्ने ये तो शुरुआत है ऐसे कितने लोग मिलेंगे जो तुम्हारा हौसला तोडेंगे तो क्या तुम टूट जाओगे। मजबूत बनो और उत्तर देना सीखो। अपने लिए लडो़ । सर ने उस दिन जिंदगी की बहुत बडी सीख दी। पर छः महीने भी मैं उस job में टिक नही पाई और मेरा रिश्ता जम गया mumbai में settled doctor के साथ। और मैंने job छोड़ दी ।।
Pic:google
#yqbaba #yqdidi
शेयर बाजा़र,नौकरी और मैं। बी.काॅम फाइनल ईयर था। Final exams लिख कर relax थी जिंदगी। मे महीना खत्म होते ही सोंचा अब तो जिंदगी में ठहराव चाहिए। क्यों न Job कर लिया जाए। पर Job मिल जाएगी लेकिन कुछ vocational or professional courses किया जाए तो better रहेगा। हमारे यहाँ उस समय LCC (Lakhotia computer courses) काफी famous था। उसकी कईं branches थी पूरे city में। Scholarship exams लिखी।  और 50% scholarship ही मिल पाई। बाकी fees job कर के जुटाने की ठानी। पर course का timing 6-12 था। मुझे 12 बजे की job देगा कौन? सवाल खडा हो गया।  हमारी बस्ती में ही रहने वाले राठी परिवार का share broker business था। पर उन्हें बस्ती छोडे़ काफी समय हो गया था। उनके यहाँ try करने की सोंची। 
अगले दिन आॉफीस पहुँची। देखा माहौल बहुत गँभीर है। किसी के पास फुर्सत ही नही किसी को देखने की। सब अपने में मगन। Reception पर पूछा  Is there  any vacancy? I need a job? Receptionist ने घूर कर देखा मानो उसी की post मैं माँग रही हूँ। मुझे तो Job केसे ढूँढनी है वह भी पता नही था। बस पूछ लिया किस्मत आज़माने। उसने कहा फिलहाल तो नही है,आप  resume दे दीजिए। हम inform कर देंगे if we need. मैंने  Resume submit किया और उदास होकर निकलने लगी। तभी entrance में मिले "राम सर"। वो मुझे पहचानते नही थे। पर मैं बचपन से उन्हे देखती थी। हमारे घर से दो तीन घर छोडकर उनका घर था। वो लोग famous थे पूरी बस्ती में क्योंकी सबसे ज्यादा आवाज़ वही लोग करते थे। बच्चे से लेकर बूढे तक हर कोई चिल्ला चिल्ला कर बाते करता था। दूसरे फ्लोर से नीचे तक क्या 
-क्या लाना है किराणा की लिस्ट सबको पता चल जाती थी। उस समय mobile phones नये-नये निकले थे हर कोई afford नही कर पाता था। outgoing calls और incoming calls दोनों पर charges लगते थे। उनके घर की महिलाएँ घूँघट में ही गाडियाँ चलाती थी,और झगडा़ भी करती थी जमकर भाजीवाले से या किसी और से। यही एक attraction का केंद्र था। 
मैंने राम सर को देखते ही पूछा कैसे है आप। उन्होंने कहा sorry मैंने तुझे पहचाना नहीं। मैंने अपना परिचय दिया। सुनते ही मेरे बारे में वे बडे़ खुश हुए और आने का कारण पूछा। उनको किसी भी हाल में मुझे नौकरी पर रखना था। यह जानते हुए भी कि कोई vacancy नही है और मैं 9-5 full time की नौकरी नही चाहती तब भी। सर ने अपने भाई गोविंद से बात की। गोविंद सर की वजह से ही वह Business टिका हुआ था।  उनका dedication level ही अलग था। उनके partner जाजू सर थे। पर कारोबार जो चल रहा था उसके सूत्रधार गोविंद सर थे। गोविंद सर ने ना कहा सब कुछ जानने के बाद भी। पर राम सर जिद पर अडे रहे। कहने लगे ये लडकी मुझे मेरे आॉफिस में चाहिए तो चाहिए।  दोनों भाईयों की बहस के बारे में सुन मैं guilty feel करने लगी। Reception area में मुझे कोई बता रहा था। गोविंद सर मान गये पर salary कम देने की बात करने लगे। राम सर ने कहा मुझसे join कर ले । आगे देख लेंगे। मुझे लगा इतनी बहस के बाद मेरा ना बोलना अहसानफरामोशी कहलाएगा। मैंने हाँ कह दी।
अगले दिन job पर मेरा किसी ने बढ चढ कर welcome नही किया। मुझे HSE (Hyderabad Stock Exchange) में रखा गया। NSE(National  Stock Exchange) BSE(Bombay Stock Exchange) ऊपर थे। यहाँ ज्यादा कुछ काम नही होता था। थोडा़ सा स्टाफ था,वो भी काफी नकचढे़ ।बात नही करते थे,मानो मुँह खोलते ही सारी tips and tricks,share market से जुडे़ बिखर जाएँगे।  मैं सीख रही थी। राम सर के पास जितना ज्ञान था वो मुझे बाँट रहे थे। वो कह रहे थे एक दिन ऐसा आएगा तू Terminal सँभालेगी और तेरे चारों ओर clients खडे़ होकर तुझसे  madam please,madam please कहेंगे। मुझे तो Terminal देखते ही चक्कय आने लगता था ,कुछ समझ में नही आता था। screen fluctuate होता रहता था। Red and blue numerical figures दिखते थे बस इतना ही। एक दिन ऊपर के section के staff कम आए थे। मुझे call कर ऊपर बुलाया गया। ऊपर जाने के लिए थोडी झिझक हो रही थी, फिर भी जाना तो था। मुझे checks की entries करने बोला गया और उन्हे  bank में deposit करना था तो acknowledgement receipt भरने कहा गया। मैंने फटाफट कर दिया। बाद में printer use कैसे करते है वह सिखाया गया। मैंने सीख लिया। ऐसे ही अब रोज़ कुछ समय के लिए ऊपर जाती थी और कुछ सीखकर आती थी। एक हफ्ते में ही मैंने काफी कुछ सीख लिया। Fax machine में paper insert करना। Fax भेजना, confirmation calls देनाclients को काफी कुछ। गोविंद सर मेरी हरकत को मेरे हर काम को note कर रहे थे। मुझे उन्होंने  Bcomplex की गोली का नाम दिया था। clients को कहते थे राम भाई की शागिर्द है पहली जिसने अपने आपको साबित किया। इसे जो भी सिखाओ जल्दी सीख लेती है। अब मुझे NSE terminal पर बिठाने की सोच रहे थे। समीना और स्वरा ये दो लडकियाँ थी जो उस आॉफिस की जान थी। उनके बिना आॉफिस चलना नामुमकिन था। बस calls पर आवाज़ सुनते ही बिना नाम जाने उनका कोड़ डाल order किए हुए share लेती थी। ऊँगलियाँ मानो दिनभर डाँस करती थी उनकी बिना रुके। Market की उछाल जैसे जैसे बढे़ उन्हे उतनी ही तेजी से हाथ बढाना पडता था। इस माहौल को देख मेरे पसीने छूट जाते थे ।क्या मैं कर पाऊँगी ? मार्केट की तेजी में अगर आप एक भी 0 extra डाल दो तो काफी नुकसान हो जाता है। एक एक second मायने रखता है। मुझसे भी गलतियाँ हुई काफी । मैंने 8000₹ वाले 100 shares खरीदने की जगह 1000 shares खरीद डाले। कभी कम खरीद डाले,पर गोविंद सर बैठते थे बाजु में और सब ठीक करवा देते थे। गोविंद सर मुझसे काफी खुश रहने लगे। पैसों से भरे बडे़-बडे बैग मेरे पास रख जाते थे। मेरी salary भी बढा़ दी दो महीनों में ही। दूसरी लडकियाँ मुझसे जलने लगी। मुझे lunch time पर या खाली time पर बैठने के लिए जगह नही देती थी। अच्छा बर्ताव नही करती थी। उनका behaviour देख मैं रोने लग जाती थी। एक दिन ऐसा ही कुछ हुआ सर मुझे कुछ काम के लिए बुलाने आए और मैं आँखों में आँसू लिए बैठी थी।  Sir ने तब एक बात कही। मुन्ने ये तो शुरुआत है ऐसे कितने लोग मिलेंगे जो तुम्हारा हौसला तोडेंगे तो क्या तुम टूट जाओगे। मजबूत बनो और उत्तर देना सीखो। अपने लिए लडो़ । सर ने उस दिन जिंदगी की बहुत बडी सीख दी। पर छः महीने भी मैं उस job में टिक नही पाई और मेरा रिश्ता जम गया mumbai में settled doctor के साथ। और मैंने job छोड़ दी ।।
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Asha Giri

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