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आशिक़ी की ख़बर लिया नहीं करते! साँसों को जैसे गिना न

आशिक़ी की ख़बर
लिया नहीं करते!
साँसों को जैसे
गिना नहीं करते!!
जलानी हो अग़र लौ
दिल से दिल की!
फिर तिल्ली को 
माचिस पे घिसा नहीं करते!!
बस हो जाती है मोहब्बत
साँसों की तरह चल पड़ती है!
फिर न पाने की जिद्द
और न खोने का गम! 
बन जाती है जिंदगी ऐसी
कि दीपक की ज्योति! बनकर
खुद जलकर!
फिर रोशनी हैं करते!!

©Deepak Bisht #ज्योति-ए-दीपक-ए-इश्क़
आशिक़ी की ख़बर
लिया नहीं करते!
साँसों को जैसे
गिना नहीं करते!!
जलानी हो अग़र लौ
दिल से दिल की!
फिर तिल्ली को 
माचिस पे घिसा नहीं करते!!
बस हो जाती है मोहब्बत
साँसों की तरह चल पड़ती है!
फिर न पाने की जिद्द
और न खोने का गम! 
बन जाती है जिंदगी ऐसी
कि दीपक की ज्योति! बनकर
खुद जलकर!
फिर रोशनी हैं करते!!

©Deepak Bisht #ज्योति-ए-दीपक-ए-इश्क़