कमरे से बाहर निकलते ही अमर ने मीता से कहा सुनो! आज बड़ी दीदी का निधन हो गया है।मीता चौंकते हुए बोली, पर तुम्हारी तो कोई बड़ी बहन नही है जहाँ तक मैं तुम्हे जानती हूँ। नीता ने अभी बात ख़त्म नही की थी, अमर बोल उठा मैं स्वर सम्रागी स्वर कोकिला लता दीदी की बात कर रहा हूँ ।नीता के मुँह से अनायास ही आह निकल गई। वो तो अक़्सर उन्हीं के गाने गुनगुनाती थी बचपन से लेकर आज तक उन्ही के गाने सुनती आई थी। एक एक करके उसे वो गानो की लाइन याद आ रही थी,आँखे नम थी और वही पास पड़े सौफे पर बैठ गई। उसने भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए उनके गानों को गुनगुनाना शुरू कर दिया दो दिल टूटे दो दिल हारे अजीब दस्ता है ये कहाँ शुरू कहाँ खत्म हम थे जिनके सहारे वो हुए ना हमारे वो दिल कहाँ से लाऊं तेरी याद जो भुला दे वो दिल कहां लाऊं तेरी याद जो भुला दे लिखने वाले ने लिख डाले मिलन के साथ बिछोड़े हम थे जिनके सहारे वो हुए ना हमारे आँखे बंद थी दिल में एक कराहट थी। उसने जैसे ही नम पलके खोली , उसे पता ही नही चला कि अमर कब ऑफिस के लिए निकल गया। वो सौफे से उठी और सामने रखे पैयानो पर उसकी उंगलियां थिरकने लगी। ©Dr Manju Juneja #बड़ीदीदी#निधन #स्वर_सम्रागी#श्रद्धांजलि #सुनो #नम #आँखे #short_Story #nojotostory #LataMangeshkar