ना जाने मेरा उनके शहर जाना कब होगा, हम तो अब सफ़र को ही मंज़िल मान चुके हैं, क्योंकि ख़ुदा ही जानता है हमारा अपना ठिकाना कब होगा, अपने धोखेबाज़ अपनों को सीने से आज भी लगाया हुआ है मैंने, ना जाने मेरा उनके ख़िलाफ़ क़दम उठाना कब होगा। ©Umme Habiba कब होगा? #Trending #Nojoto #nojotohindi #Shayar #nojotoshayari #writer #nojotowriters #Poet #nojotopoetry #retro