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गवा बनाके चाँद को। खुद को तेरे नाम कर आये। कदर हम

गवा बनाके चाँद को। 
खुद को तेरे नाम कर आये।
कदर हमारी आप कब करेगे। 
ये बात चाँद से कर आये। 
राते बेगानी गुजर रही है जैसे तेसै। 
उन रातों से हाल दिल हम कर आये। 
सुबह चाहे केसा भी मुकाम लाये। 
हम तो उन रातों से गुजर आये। 
कुछ दिल कि वो चाँद सुनता। 
कुछ वो अपनी सुनाता। 
बितती रातों की गाड़िया। 
दिल को उसके पास ले जाता। 
आँखे जिस पल नम् सी हो जाती। 
थोड़ा हमदम वो ही बन जाता। 
रातों को मेरी वो चाँद ही। 
थोड़ा सुकून के पल दे जाता। 
हवाएं भी मंद मंद सी चलती। 
तब ही आँखों को सुकून मिलता। 
सुकून की नींद मुझे तो। 
रोशन चाँद  दे जाता। 
रातों को मेरी चाँद ही बनाता। 
रातों को मेरी चाँद ही बनाता। 
(BY SABEENA)

©Sabeena
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