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अतीत ❤️ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

अतीत ❤️
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

वो सुबह की सर्द फ़िज़ाओं में,
खुले आसमां के नीचे...
बयार की हल्की-सी झोंकें... 
और टपकते बारिश की कुछ बूंदें।

शायद मुझे मेरी अतीत की यादें दिला रही हो...
पर वो कौन-सी यादें??

बेमन-सा मन दौड़ना चाहता है,
उन पुरानी यादों के पीछे...
उससे पहले ओस की बूंदें ढ़क लेती उन्हें,
पर यादें कुछ खास थी।

वरना इस सर्द फ़िज़ाओं मे,
ये कमबख्त मन,
क्यों रफ़्तार(धड़कने) पकड़ना चाहता।

आँसू की दो बूंदें भी टपकने को था, बेताब...
बारिश के बहाने रो भी लेते,
और नाम बारिश की बूंदों का ही हो जाता।
पर सर्द हवाएं जमा रही थी उन्हें भी।

पलकों की बंदिशों को तोड़कर आखिर गिर ही गया,
और मेरे सब्र को ज़िल्लत** कर गया...जालिम ।

  जिल्लत**(तुच्छ/अपमानित)
©️ अजय यायावर.  ✍️ #yayavardairies
#ajayyayavar
#yaden
अतीत ❤️
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वो सुबह की सर्द फ़िज़ाओं में,
खुले आसमां के नीचे...
बयार की हल्की-सी झोंकें... 
और टपकते बारिश की कुछ बूंदें।

शायद मुझे मेरी अतीत की यादें दिला रही हो...
पर वो कौन-सी यादें??

बेमन-सा मन दौड़ना चाहता है,
उन पुरानी यादों के पीछे...
उससे पहले ओस की बूंदें ढ़क लेती उन्हें,
पर यादें कुछ खास थी।

वरना इस सर्द फ़िज़ाओं मे,
ये कमबख्त मन,
क्यों रफ़्तार(धड़कने) पकड़ना चाहता।

आँसू की दो बूंदें भी टपकने को था, बेताब...
बारिश के बहाने रो भी लेते,
और नाम बारिश की बूंदों का ही हो जाता।
पर सर्द हवाएं जमा रही थी उन्हें भी।

पलकों की बंदिशों को तोड़कर आखिर गिर ही गया,
और मेरे सब्र को ज़िल्लत** कर गया...जालिम ।

  जिल्लत**(तुच्छ/अपमानित)
©️ अजय यायावर.  ✍️ #yayavardairies
#ajayyayavar
#yaden