फ़ैसले तुम्हारे, हमें अगर मगर में रहने दो, मंज़िलें तुम्हारी, हमें तो बस सफ़र में रहने दो.. इस मुसाफ़िर को सीने से एक बार लगा लेना, उस के बाद भले हमें न अपने घर में रहने दो! घरबार संभालो के खिड़कियां बंद करो सारी, और हम दीवानों को तूफां की नज़र में रहने दो! तुम्हारे इबादत का चलन न टूट जाये, या रब... बस इतनी देरी दुआ और असर में रहने दो! ©Shubhro K #seriously