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पर्यावरण के संदर्भ में देखा जाता है तो कोई भी अनिव

पर्यावरण के संदर्भ में देखा जाता है तो कोई भी अनिवार्यता या बाद अता नहीं होता बल्कि संभावनाएं होती है और मानव इन संभावना का स्वामी होने के नाते इनके उपयोग का न्यायधीश है संभावना के न्यायधीश होने का मतलब यह नहीं कि आप संसाधनों का दोहन कर उन्हें पूर्णता नष्ट कर दे बल्कि संसाधनों के उपभोक्ता की विधि के मध्य वर्तमान पीढ़ी तक आने वाली पीढ़ियां सामंजस्य स्थापित करें ताकि सतत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति बड़ी सहजता से सुनिश्चित हो सके भारत से 1992 में लुप्त घोषित हुए चीजों की कहानी भी कुछ ऐसी ही है जब मानव सचमुच प्राकृतिक संसाधनों एवं संभावनाओं के प्रति निष्ठुर रूप न्यायाधीश दिखाई देता है एक निश्चित कालखंड में मानव ने संसाधनों का ऐसा दो अंधता संभावनाओं का ऐसा गला घोटा जिससे भारत एवं उसके आसपास के क्षेत्रों की मूल जाति का ही नाश कर दिया स्थिति ऐसी आन पड़ी कि हम जब अब दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों नामीबिया दक्षिण अफ्रीका से चीते मंगवा रहे हैं

©Ek villain #भारत में सीटों का आगमन दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया देशों से

#dost
पर्यावरण के संदर्भ में देखा जाता है तो कोई भी अनिवार्यता या बाद अता नहीं होता बल्कि संभावनाएं होती है और मानव इन संभावना का स्वामी होने के नाते इनके उपयोग का न्यायधीश है संभावना के न्यायधीश होने का मतलब यह नहीं कि आप संसाधनों का दोहन कर उन्हें पूर्णता नष्ट कर दे बल्कि संसाधनों के उपभोक्ता की विधि के मध्य वर्तमान पीढ़ी तक आने वाली पीढ़ियां सामंजस्य स्थापित करें ताकि सतत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति बड़ी सहजता से सुनिश्चित हो सके भारत से 1992 में लुप्त घोषित हुए चीजों की कहानी भी कुछ ऐसी ही है जब मानव सचमुच प्राकृतिक संसाधनों एवं संभावनाओं के प्रति निष्ठुर रूप न्यायाधीश दिखाई देता है एक निश्चित कालखंड में मानव ने संसाधनों का ऐसा दो अंधता संभावनाओं का ऐसा गला घोटा जिससे भारत एवं उसके आसपास के क्षेत्रों की मूल जाति का ही नाश कर दिया स्थिति ऐसी आन पड़ी कि हम जब अब दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों नामीबिया दक्षिण अफ्रीका से चीते मंगवा रहे हैं

©Ek villain #भारत में सीटों का आगमन दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया देशों से

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