दया करो हे ईश्वर खत्म करो ये जोरा जोरी रख दो सर पे हांथ सभी के मन हो न फिर खाली खाली; दिल में बसते हो तुम ही जाने कितने अवतार धरे फिर असहाय पड़े हो क्यों किससे मैं फिर बल बांधू; इस मिट्टी से जीवन में पानी सा अमृत दान दिया कल कल करती नदियों को पहाड़ चीरने का वरदान दिया; संभल जाऊं कैसे अकेले दूर हो गए जो सब अपने काली छाया इस धरती पर काल बनके क्षण क्षण बदले; परछाई बनके आओ तुम जुगत नई बताओ फिर पार लगाओ इस विपदा से भी हम सबको फिर बहलाओ तुम; प्रियजन के जाने का दुःख हरने तुमको ही आना होगा बहुत समय अब बीत गया तकते रहना अवसाद बना; देखो कैसे लासे धधक रही हैं दो गज मिट्टी को तरस रहीं हैं अपना भी कोई इनके साथ नही जाते जाते भी कोई संताप नही; कब तक बंद रहूंगा घेरों में आते जाते तो मिलना छोड़ा बाते करना तो भूला ही भूला पुर जोर लगाया फिर हरने की कोशिश सारी बेकार अंधेरों में; मुझमे सामर्थ इतना भर दो फिर साहस मरने न पाए शक्तिविहीन से यथोचित हो जो वो करके देख रहा हूं जूझ रहा हूं फिर इस अद्रिस्यता से पल पल में जो ये पाला बदले है फिर; आखिर कब तक इसके पीछे ही भागूं मैं कुछ जतन बताओ तुम कि आगे हो जाऊ मैं; ©Umesh Kushwaha दया करो हे ईश्वर