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वक़्त का तकाज़ा है पर मैं बुरा तो नहीं हूँ मुझे नज़र

वक़्त का तकाज़ा है पर मैं बुरा तो नहीं हूँ
मुझे नज़र से क्यों गिराया मैं गिरा तो नहीं हूँ,

सभी देखते हैं मुझे हिक़ारत से अब क्यों
मैं ज़िन्दा हूँ अबतक,मैं मरा तो नहीं हूँ,

मेरे घर के ही मुझको अब धिक्कारते हैं 
 किसी बात पर उन से लड़ा तो नहीं हूँ,

हाँ होती है इन्सानो से ही गलतियाँ
मैं इन्सान ही हूँ,कोई खुदा तो नहीं हूँ,

बनों पहले वाली वही मेरी माँ तुम
जो कहती थी सोना हूँ ,पर खरा तो नहीं हूँ। #ManSe#Shayri#Ghazal#Poetey#MyWords
वक़्त का तकाज़ा है पर मैं बुरा तो नहीं हूँ
मुझे नज़र से क्यों गिराया मैं गिरा तो नहीं हूँ,

सभी देखते हैं मुझे हिक़ारत से अब क्यों
मैं ज़िन्दा हूँ अबतक,मैं मरा तो नहीं हूँ,

मेरे घर के ही मुझको अब धिक्कारते हैं 
 किसी बात पर उन से लड़ा तो नहीं हूँ,

हाँ होती है इन्सानो से ही गलतियाँ
मैं इन्सान ही हूँ,कोई खुदा तो नहीं हूँ,

बनों पहले वाली वही मेरी माँ तुम
जो कहती थी सोना हूँ ,पर खरा तो नहीं हूँ। #ManSe#Shayri#Ghazal#Poetey#MyWords