तो उठ तू लड़ तू गरज तू खुद को संभाल तू खुद को बचा तू नहीं है द्रौपदी की आएगा कोई कृष्ण बचाने तेरी लाज यहां तू दुष्सानो से ना कभी घबराना छुएगे तेरे आंचल चाहेंगे जार जार करना करना मुकाबला डटकर आंचल मैंली मत होने देना जो छुए तेरी आंचल तो तोड़ हाथ श्मशान में फेंक ना तू ना तो कभी थरथराना ना तो कभी कपकपना तू उठ तू लड़... हर पल रखेंगे तेरे कपड़ों पर नजर यहां जो सरका तेरा दुपट्टा तो नापेगे तेरा सीना यहां भूल जाएंगे यही है उनकी बहन बेटियों के पास भी फिर तेरी तरफ हवस की नजर बढ़ाएंगे बन विंध्यवासिनी तू उनकी हवस को विनाश करना ना कभी अपना दुपट्टा सवारना ना तू कभी खुद को गलत समझना तू उठ तू लड़.. जब कोई दुशासन तुम्हें रास्तों पर छोड़ जाएंगे यहां कोई नहीं तुझे बचाने को आएगा यहां सब तमाशा देख तेरे से दूर हट जाएंगे तू नहीं होगी उस वक्त उनकी बहन बेटी सब यही सोच गुजर जाएंगे जब तक न बीते अपने घरों में तब कहां आती है समझ में लेकिन दोहराया न जाए उनके बेटियों के साथ ऐसी तू मिशाल बनना हाथ में लौ ले उन पापियों का नाश करना ना तू झुकना कभी ना थकना कभी तू उठ तू लड़.. जो तुम्हारे साथ होगा ऊंच-नीच यहां सब तुम्हारे कपड़ों से लेकर तेरे चरित्र को आकेगे यहां तुम्हारे बात रास्तों पर चला तुम्हें तुम्हारी ही नजरों में गिराएंगे यहां और तुम ऐसे ही लड़की थी जो हुआ अच्छा हुआ कह तुम्हें ही गलत बताएंगे यहां लेकिन अपने हौसले बुलंद रखना तू खुद को शांत रखना ना कोई सफाई देना ना कभी खुद को नजर से देखना जो कोई मांगे तुमसे अग्नि परीक्षा उसके मुंह पर एक जोरदार तमाचा जड़ना तू ना कभी टूटना तू ना कभी खुद को समेटना तू तो उठ तू लड़ तू गरज तो खुद को संभाल तो खुद को बचा तू नहीं है द्रौपदी की आएगा कोई कृष्ण बचाने तेरी लाज यहां my poetry for girls