फरेबी हूं बेइमान हू मैं कलयुग का इंसान हूं ।। किसने कहा मुक्कमल हूं ऐब बहुत हैं मुझमें झूठा भी दरअसल हूं किसने कहा मुक्कमल हूं ।। नशा मुझे इश्क का ऐब मुझे है रिज्क का दिल भी तोड़ता हूं नकली नाते जोड़ता हुं रावण भी है मुझमें मुखौटा राम का ओढ़ता हूं फरेबी हूं बेइमान हू मैं कलयुग का इंसान हूं ।। मैने चीर हरण भी किए हैं कई बुझाए दिये हैं मैने घरों को लूटा है गुस्सा भी सब पे फूटा है मैने चोरी चकारी भी कर डाली रिश्तों की हत्या भी कर डाली भेस बनाया साधु का मन से मैं शैतान हूं फरेबी हूं बेइमान हू मैं कलयुग का इंसान हूं ।। इज्जत पे हाथ बहुत डाले हैं मेरे किस्से ही निराले हैं आंखों से ऐसे ताड़ ता हूं बिन छूए कपड़े फाढ़ता हूं लाज ज़रा न है मुझमें मैं तो यारो हैवान हूं फरेबी हूं बेइमान हू मैं कलयुग का इंसान हूं ।। ©Vikram Sharma #directions #frebi #फरेबी #कलयुग #इंसान