इन रसीलें होठों कि प्यास जुल्फों कि छाँव और दिल में मिलन कि आस हमें जीने नहीं देती रोज रोज रात होती है मग़र "सृष्टि"चैन से सोने नहीं देती आ जाती है बिस्तर पर हमको जगाने और ख़ुद ही सुब्ह होने नहीं देती उसके हुस्न कि रौशनी छा जाती है कमरे में अपने से जुदा होने नहीं देती कोई ताकद क्या दूर करें एकबार सीने से लिपटे साँसे छूट जाए फिर भी बिस्तर से दूर नहीं होती ©Deep Bawara #nojtoapp #nojato #nojohindi # #erotica #eroticapoetry #yqdidi #तन्हा_रातें