वो हवा उधर की है इधर नहीं आती गुज़रती रोज़ है दरवाज़े से घर नहीं आती ।। भुला दिया है केहना मुनासिब नहीं होगा हाँ पर ये सच है याद दिन भर नहीं आती ।। बड़े शौक से निकालते लोग नुक्स दूसरों में अपनी गलतियां लोगो को नज़र नहीं आती ।। आ जाती है समझ किसी को बचपन में ही जिनको नहीं आती उम्र भर नहीं आती ।। वहाँ घर पे हर उस रोज़ माँ सेहम जाती है जिस रोज़ बेटे की कोई खबर नहीं आती ।। जो घर घर खेलतीं है बेटियां आँगन में विदा लेती हैं फिर मुड़ कर नहीं आती ।। #NojotoQuote एक मतला चंद शेर.. जो घर घर खेलती हैं बेटियाँ आँगन में विदा लेतीं है फिर मुड़ कर नहीं आती ।। #nojoto #indian_poets #love #maa #log #ghazal #first