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थे वो सपने ही जो तब गुज़र गए, मल्हाह नाव से

थे वो सपने  ही  जो  तब  गुज़र  गए,
मल्हाह  नाव  से अधर  में  उतर गए,
दर्द बेहद रखा  है  मैंने  दिया  उनका,
अच्छा रहा  छोटी‌ ठोकर से गिर  गए।

हम ऑंसू की धार  लगाते  जा  रहे  थे,
उनके ऑंखों से जाने ऑंसू किधर गए,
पूछताछ जब हुई अदालत-ए-इश़्क में,
मेरे नाम से बेवफा हर बार मुकर गए।

हम बैठे सदी तक इश्कगाह में उनके,
हमें छोड़ वो हमेशा गैरों के ही घर गए,
हमने खुशियाॅं ही परोसी सदा  उनको,
क्यों मेरे दामन में इतने ग़म पसर गए।

मेरी बातों में रहती थी उनकी ही बातें,
कहानी बदली उन्होंने, वो जिधर गए,
हमने तो उन्हें रखा अपने दिल में ही,
वो  उम्मीद  तोड़  रंगीनी में उतर गए।

लिबास सुर्ख़ ही था, हमेशा मेरा पसंदीदा,
अपनी नफ़रत से वो इसे काला कर गए,
सब जैसे जज़्बात भरे थे, दिल में मेरे भी,
वो इस जगह पर नुकीले कंकर भर गए।

ख़ुदा पैरवी में उतरा था एक बार उनकी,
इश्क़ के रास्तों से वो इस क़दर गुज़र गए,
'भाग्य' मेरा दोष रहा जो चाहत न मिली,
हम तो एक तरफा मोहब्बत में मर गए। ☘️☘️☘️☘️☘️15/15☘️☘️☘️☘️☘️
🌸🌸🌸🌸🌸 #kkवोसपनेगुज़रगए🌸🌸🌸🌸🌸

थे वो सपने  ही  जो  तब  गुज़र  गए,
मल्हाह  नाव  से अधर  में  उतर गए,
दर्द बेहद रखा  है  मैंने  दिया  उनका,
अच्छा रहा  छोटी‌ ठोकर से गिर  गए।
थे वो सपने  ही  जो  तब  गुज़र  गए,
मल्हाह  नाव  से अधर  में  उतर गए,
दर्द बेहद रखा  है  मैंने  दिया  उनका,
अच्छा रहा  छोटी‌ ठोकर से गिर  गए।

हम ऑंसू की धार  लगाते  जा  रहे  थे,
उनके ऑंखों से जाने ऑंसू किधर गए,
पूछताछ जब हुई अदालत-ए-इश़्क में,
मेरे नाम से बेवफा हर बार मुकर गए।

हम बैठे सदी तक इश्कगाह में उनके,
हमें छोड़ वो हमेशा गैरों के ही घर गए,
हमने खुशियाॅं ही परोसी सदा  उनको,
क्यों मेरे दामन में इतने ग़म पसर गए।

मेरी बातों में रहती थी उनकी ही बातें,
कहानी बदली उन्होंने, वो जिधर गए,
हमने तो उन्हें रखा अपने दिल में ही,
वो  उम्मीद  तोड़  रंगीनी में उतर गए।

लिबास सुर्ख़ ही था, हमेशा मेरा पसंदीदा,
अपनी नफ़रत से वो इसे काला कर गए,
सब जैसे जज़्बात भरे थे, दिल में मेरे भी,
वो इस जगह पर नुकीले कंकर भर गए।

ख़ुदा पैरवी में उतरा था एक बार उनकी,
इश्क़ के रास्तों से वो इस क़दर गुज़र गए,
'भाग्य' मेरा दोष रहा जो चाहत न मिली,
हम तो एक तरफा मोहब्बत में मर गए। ☘️☘️☘️☘️☘️15/15☘️☘️☘️☘️☘️
🌸🌸🌸🌸🌸 #kkवोसपनेगुज़रगए🌸🌸🌸🌸🌸

थे वो सपने  ही  जो  तब  गुज़र  गए,
मल्हाह  नाव  से अधर  में  उतर गए,
दर्द बेहद रखा  है  मैंने  दिया  उनका,
अच्छा रहा  छोटी‌ ठोकर से गिर  गए।