कई जतन सीख सीख कर बुझा रहा भूख की आग को दो जून की रोटी के खातिर झोंका नन्ने निज चिराग को समा भी गया हैं कई दफ़ा भूख की ही तेज लपटों में पर वो कभी न झुलसने दिया अपने हुनर के इस बाग को! अरमानों के इस अम्बर नीचे, खुद जज्बों का मंच बनाया ! आज उलझी पटकथाओं को कर अभिनय से सच बनाया !! #ramkaran #hearts