अगर ऐसी ही जीवन की घाम रही शीतल इतनी जो सांझ रही, मैं तितिक्षा का पर्याय बन जाउंगा पर हार नहीं मानूंगा। जो यूंही बरसते रहे मेघ पानी और हवाओं का बढ़ता वेग, मैं तूफान नया फिर ले आऊंगा पर हार नहीं मानूंगा। पाषाण सभी खुद घुल जायेंगे घाव सभी धुल जायेंगे, मैं चोट नई नित खाऊंगा पर हार नहीं मानूंगा। मृत्यु आयेगी एक पल कहेगी ऐ माटी के पुतले चल, मैं मुखमंडल पर लालिमा समेटे मिट जाऊंगा पर हार नहीं मानूंगा। विघ्नों को गले लगाऊंगा बाधाओं का मोल बढ़ाऊंगा, खुद के तेज से तेजस्वी सूर्य से युद्ध ले आऊंगा पर हार नहीं मानूंगा। ©Tanya Sharma Street light #adventure हार नहीं मानूंगा