आजाद परिंदा हूँ मैं जंजीरों में जकड़ो ना रहना चाहता हूँ में एक जात मजहब में तोड़ो ना हिंदू भी प्यारा है मुझे और मुसलमान भी प्यारा है सिक्ख और ईसाई में भी बसता दिल यह हमारा है जब लड़ते हो तुम एक दूजे से घायल दिल रोता यह बेचारा है 🎀 Challenge-296 #collabwithकोराकाग़ज़ ❤ स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ❤ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।