मैं और मेरी तन्हाई होगी , और कुछ भी नही आगे कुआं पीछे खाई होगी , और कुछ भी नही ये दिल की सड़क , कहाँ रफ़्तार पकडे़गी बस गड्ढों की भरपाई होगी , और कुछ भी नही अचानक , ये रगो में , उबाल है कैसा देश़ में सियासत गरमाई होगी , और कुछ भी नही मत बोलो मेरे हक़ में , ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा मेरी जग हँसाई होगी , और कुछ भी नही ख़याल भी गुनाह , किसी गैर का , और वो बस ज़रा सा श़रमाई होगी , और कुछ भी नही ©Shayar mayank #mayanks302 follow insta @mayanks302