यूं मेरे बहते आशुओं को कब-तक छुपाओगे, एक क़तरा अश्क तुम भी तो बहाओगे, वक़्त रहमतें बरसाएंगा अपनी, तुम्हारी तरह हम भी निखर जायेंगे, लम्हा दर लम्हा बीतेगा, कुछ ख़्वाब मेरे मुझे ज़्यादा याद आयेंगे, आंखों से बगावत रोज़ होगी, हम हर दिन की तरह हार जायेंगे, कुछ गम तो तुम्हें भी होगा, तेरा पहला रिश्ता हूं याद तो हम भी ज़रूर आयेंगे। यूं मेरे बहते आशुओं को कब-तक छुपाओगे, एक क़तरा अश्क तुम भी तो बहाओगे, वक़्त रहमतें बरसाएंगा अपनी, तुम्हारी तरह हम भी निखर जायेंगे, लम्हा दर लम्हा बीतेगा, कुछ ख़्वाब मेरे मुझे ज़्यादा याद आयेंगे,