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हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, हश्र मेरी शायरी का यू

हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, हश्र मेरी शायरी का यूं न करें, मुस्करा कर जनाब। हमारी शायरी भी हम-सी शर्मीली है फिर न लब्ज़ों तक भी आएगी। #hashra
हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, हश्र मेरी शायरी का यूं न करें, मुस्करा कर जनाब। हमारी शायरी भी हम-सी शर्मीली है फिर न लब्ज़ों तक भी आएगी। #hashra
gauravdangi4106

gaurav dangi

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