सब कुछ सहकर भी खुश रहता हूं गर्मी , सर्दी ,बरसात सहर्ष सहता हूं हर दर्द मेरे घर से गुजरता है सैलाब में मेरा ही घर उजड़ता है अपने जीवन की गाड़ी को बामुश्किल चलाता हूं कभी रिक्शा चलाकर ,कभी बोझ उठाकर कभी हल जोतकर कभी मशीनें चलाकर तुम्हारा जीना आसान बनाता हूं और खुद का खर्च चलाता हूं।। मैं मजदूर हूं , खुद अंधेरे में रहकर तुम्हारा घर रोशन करता हूं ।। Mazdoor #nojotohindi#hindi#kavita#poetry#poem