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सर्द दिसंबर आज बरस बाद आया फिर सर्द दिसम्बर आओ कुछ

सर्द दिसंबर आज बरस बाद आया फिर सर्द दिसम्बर
आओ कुछ देर बैठते हैं ओढ़ के
धूप का चादर

ठंड के मारे ,कांप रहा है आज पूरा शहर
उसपर कोहरा ने गिराया है कहर

ठिठुर रहा है अब हर कोई अंग अंग
क्यों ना बैठकर एक संग
आग के तपिश में सेंक ले
हाथों को मिलकर सब आज चला सर्द हवा...
कैसा सितम ढाया दिसम्बर का महिना
सर्द दिसंबर आज बरस बाद आया फिर सर्द दिसम्बर
आओ कुछ देर बैठते हैं ओढ़ के
धूप का चादर

ठंड के मारे ,कांप रहा है आज पूरा शहर
उसपर कोहरा ने गिराया है कहर

ठिठुर रहा है अब हर कोई अंग अंग
क्यों ना बैठकर एक संग
आग के तपिश में सेंक ले
हाथों को मिलकर सब आज चला सर्द हवा...
कैसा सितम ढाया दिसम्बर का महिना