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मन ही चंचल पात है, मन है शीतल नीर। मन ही उपजे वेदन

मन ही चंचल पात है, मन है शीतल नीर।
मन ही उपजे वेदना, मन ही हरता पीर।।

मन काबू में जो रखे, मिले बहुत जग मान।
कहे चपल 'अरमान' मन, देय सदा अपमान।।

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।
मन ही सुर लय-ताल है, मन ही सच्चा मीत।।


अमर 'अरमान'

©Amar'Arman' Baghauli hardoi UP
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