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गुमनाम हूं में खुद से मन में यही शोर हे मुझे मेरी

गुमनाम हूं में खुद से
मन में यही शोर हे
मुझे मेरी तलाश जारी है
बैठा जब पल भर पास खुद के
भावनाओ के उमड़ते सैलाब थे।
क्यू रहे बेगाने मन के ऐसे  भाव थे
समुंदर की गहराई में, मैने
अपनों से बांधे चाहतो के बांध थे।
रेत से ढह , खंडर हो गए
क्यू रहे अलेदा हम बंजर हो गए।

जिंदगी गुजार कर जब आओगे
हम को तब भी यही पाओगे।
रहेगी तब तक 
मेरी तलाश जारी है।
written by
Sunita Nimish Singh तलाश
written by
sunita Nimish Singh
गुमनाम हूं में खुद से
मन में यही शोर हे
मुझे मेरी तलाश जारी है
बैठा जब पल भर पास खुद के
भावनाओ के उमड़ते सैलाब थे।
क्यू रहे बेगाने मन के ऐसे  भाव थे
समुंदर की गहराई में, मैने
अपनों से बांधे चाहतो के बांध थे।
रेत से ढह , खंडर हो गए
क्यू रहे अलेदा हम बंजर हो गए।

जिंदगी गुजार कर जब आओगे
हम को तब भी यही पाओगे।
रहेगी तब तक 
मेरी तलाश जारी है।
written by
Sunita Nimish Singh तलाश
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sunita Nimish Singh