गुलाब साहब दूसरों की दुर्गन्ध अपने में मत आने देना । अपनी सुगंध फैलाते रहना।" कथा-----: गुलाब की खुशबू गुरुदेव ने अपने शिष्य को गुलाब दिखाते हुए पूछा, "बेटा, यह क्या है?" शिष्य ने तुरन्त जवाब दिया, " गुलाब।" गुरुदेव ने कहा, " यह ले जा किसी दुकान में घी के डिब्बे पर रख, गूड़ के थैले पर रख, शक्कर की बोरी पर रख, तिल के थैले पर रख, दुकान की सारी वस्तुओं पर रख।फिर सूंघेगा तो खुशबू किसकी आयेगी? शिष्य तपाक से बोला, " खुशबू तो गुलाब की ही आएगी।" गुरुदेव ने फिर पूछा, " गंदी नाली के आगे रख, फिर सूंघेगा तो खुशबू किसकी आएगी?" जवाब वही रहा, "गुलाब की ही ।" फिर गुरुदेव बोले, "बस, ऐसा ही तू बन जाना । दूसरों की दुर्गन्ध अपने में मत आने देना । अपनी सुगंध फैलाते रहना।" जय राधे राधे 👏