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"एक ख़्वाब" ख़्वाबों की इस नगरी में, एक ख़्वाब मुक़्क़

"एक ख़्वाब"

ख़्वाबों की इस नगरी में,
एक ख़्वाब मुक़्क़मल करना है..!

अंतिम सफ़र से पहले ही,
ख़ुद को अव्वल करना है..!

न भय न शय ये ख़ुद से कह,
शिखर पर क़ामयाबी का झरना है..!

चित्त की चिता न जलानी,
न ही परिश्रम से मुकरना है..!

बीत गया जो भूल उसे,
जीवन ख़ुशियों से भरना है..!

टुकड़े में पड़े हैं अरमाँ जो,
पूरे कर उन्हें सँवरना है..!

दूर कर तमस का तनाव ख़ुशियों की नाँव ले,
संग शुक्तीज़ सा बिखरना है..!

मौत की धमकी से आख़िर क्यों डरना,
एक दिन तो है सभी को मरना है..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #wait #ekkhwab