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आजकल मिल रहा अस्सी करोड़ को पांच किलो मुफ्त राशन !

आजकल मिल रहा अस्सी करोड़ को पांच किलो मुफ्त राशन !
किसानों को छह हज़ार प्रतिवर्ष व झूठे आश्वासन के भाषण !!

रोज़गार बिना, सर उठा के जीना, संभव ही नहीं !
कमा के खाने के सुकून सा कोई और वैभव नहीं !!

कमा के बचा सकें कुछ इसके भी लगते नहीं आसार !
शिक्षा चिकित्सा में अपार खर्च की असहनीय है मार !!

बचा भी ले कोई कुछ, तो बचत पर भी है अपार संकट !
पांच लाख से ज्यादा असुरक्षित है बैंक में जमा रकम !!

दोस्तों, पहचान वालों को कर्ज़ देने पर है प्रतिबंध !
अर्थात सभी को भिखारी बनाने सा हुआ अनुबंध !!

बुद्धिजीवियों ने भी जनजागृति से मुंह मोड़ लिया है !
कवियों ने कलम को हंसी व व्यंग के हवाले किया है !!

धार्मिक गुरुओं में सच्चे कम और अपराधी ज्यादा है !
राजनीति के गलियारों से इनका मिलीभगत नाता है !!

बिके पत्रकारों के लिए, ता ता थैय्या, सबसे बड़ा रुपैया !
सच्चों के प्रसारण के सर कलम खुले आम ऐलान हुआ !!

जनता में हिम्मत ही न बची सवाल कर सकने की !
जद्दोजहद चल रही है गुज़ारा कर सकने की !!

अपराधियों की राजनित में भरमार जन को डरा के रखती !
न्याय के मंदिर से न्याय की उम्मीद ही नहीं की जा सकती !!

युवा पीढ़ी नाना प्रकार के व्यसनों में धकेली जा रही !
मोबाइल, जुआ, नशा, दिखावे में खर्चा, में धंसी जा रही !!

जनप्रश्नों को हल करने की योजनाओं पे कहीं कोई बात नहीं !
रोजगार दिला सके ये आज की राजनीति की औकात नहीं !!
हे राम ...
- आवेश हिन्दुस्तानी 11.1.2024

©Ashok Mangal #AaveshVaani 
#JanMannKiBaat
#youth 
#unemployment
आजकल मिल रहा अस्सी करोड़ को पांच किलो मुफ्त राशन !
किसानों को छह हज़ार प्रतिवर्ष व झूठे आश्वासन के भाषण !!

रोज़गार बिना, सर उठा के जीना, संभव ही नहीं !
कमा के खाने के सुकून सा कोई और वैभव नहीं !!

कमा के बचा सकें कुछ इसके भी लगते नहीं आसार !
शिक्षा चिकित्सा में अपार खर्च की असहनीय है मार !!

बचा भी ले कोई कुछ, तो बचत पर भी है अपार संकट !
पांच लाख से ज्यादा असुरक्षित है बैंक में जमा रकम !!

दोस्तों, पहचान वालों को कर्ज़ देने पर है प्रतिबंध !
अर्थात सभी को भिखारी बनाने सा हुआ अनुबंध !!

बुद्धिजीवियों ने भी जनजागृति से मुंह मोड़ लिया है !
कवियों ने कलम को हंसी व व्यंग के हवाले किया है !!

धार्मिक गुरुओं में सच्चे कम और अपराधी ज्यादा है !
राजनीति के गलियारों से इनका मिलीभगत नाता है !!

बिके पत्रकारों के लिए, ता ता थैय्या, सबसे बड़ा रुपैया !
सच्चों के प्रसारण के सर कलम खुले आम ऐलान हुआ !!

जनता में हिम्मत ही न बची सवाल कर सकने की !
जद्दोजहद चल रही है गुज़ारा कर सकने की !!

अपराधियों की राजनित में भरमार जन को डरा के रखती !
न्याय के मंदिर से न्याय की उम्मीद ही नहीं की जा सकती !!

युवा पीढ़ी नाना प्रकार के व्यसनों में धकेली जा रही !
मोबाइल, जुआ, नशा, दिखावे में खर्चा, में धंसी जा रही !!

जनप्रश्नों को हल करने की योजनाओं पे कहीं कोई बात नहीं !
रोजगार दिला सके ये आज की राजनीति की औकात नहीं !!
हे राम ...
- आवेश हिन्दुस्तानी 11.1.2024

©Ashok Mangal #AaveshVaani 
#JanMannKiBaat
#youth 
#unemployment
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Ashok Mangal

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