ज्ञान कहाँ है ध्यान कहाँ? अब धर्म कहाँ है राहों में, शर्म कहाँ है हया कहाँ? लिखकर भूले सब पोथों में।। रिश्ते भी क्या नाते है, सम्बन्धों के भी तो ताते है। बहन कहाँ किसकी बेटी, भूल गए सब गृह गुहाओं में।। योगेश कुमार मिश्र"योगी" वर्तमान में भाव......