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*मां* 🌹* मां * शब्द कितना पवित्र और महान है जिसकी

*मां*
🌹* मां * शब्द कितना पवित्र और महान है जिसकी तुलना
किसी से भी नहीं की जा सकती। एक नारी तभी पूर्ण
तभी होती है जब मां बनती है। पिता से पहले मां का
संबंध अपनी संतान से उसके गर्भ से ही हो जाता है।
गर्भ में जैसे जैसे वो बड़ा होता उसके हृदय के तार मां
से जुड़ जाते है और मां उसकी मौन भाषा समझने लगती
है। नौ मास का सारा दर्द उसके लिए एक खुशी में बदल
जाता है। मां के बिना संतान उसी तरह होती है जैसे जल
के बिना मछली। मां अनुपम है,अनमोल है और पूजनीय
भी। वो खुशनसीब हैं जिनके पास मां होती है। मातृ दिवस के पावन शुभ अवसर पर मैं सभी माताओं के
चरणों में शीश नवाता हूं।🌹🙏

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # मातृ दिवस।