तारों से बेखबर चांद को अक्सर घटते बढ़ते देखा है मैंने उम्मीद के दामन को हाथों से बिछड़ते देखा है ऐसे ही जिंदगी में मैंने अपने को बिछड़ते देखा..!! # तारों से बेखबर चांद को