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अगर ज़रूरत से ज़्यादा हो किसी के पास ज़र, तो वह उस

अगर ज़रूरत से ज़्यादा हो किसी के पास ज़र,
तो वह उसकी विवेकशीलता को देती है भ्रष्ट कर।
अहंकार और लोभ तो आ ही जाता है स्वभाव में,
दूसरों को तुच्छ समझना प्रकट होता है हावभाव में।

©Amit Singhal "Aseemit"
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