गर रिश्ता है साहब बचा लीजिए, गर खता है मेरी तो सजा दीजिए। यूं न आंखों को भीगा छोड़ो मेरी, न करुं मैं वफ़ा तो दगा दीजिए। गर चले हो सफ़र में तो साथ ही रहो, यूं न हाथों को अपने छुड़ा लीजिए। ख्वाब देखे अगर हैं हसीं शाम के, धूप में न यूं ज़ुल्फें हटा लीजिए । गर नहीं हो सफर के कांटों में हमसफर, तो ख्वाब फूलों के न संग में सजा लीजिए। #mukeshsolanki"मन" #मन_के_अल्फ़ाज़ #ख्वाब२bymka