एक भीगी सी शाम में, पंक्षियों की कलरव में, ओस की बूंदों में, झरनों की गुंजो में, बस तुम हो। खुली रेत में खिली धुप में ठंढी छाँव में बसंती बेलो में सिर्फ तुम ही हो। पिघलते बादलों में बरसती बारिशों में दहकते दीप में, मचलती शाम में, सिर्फ तुम ही हो, शून्य रातों में, गर्मी की तपिश में, नीले आसमाँ में, सौंधी मिट्टी में, महकते गुलाब में मचलती शराब में, बस तुम ही तो हो। #nojoto