शोला और शबनम kavita read in caption ।। शोला और शबनम ।। इश्क के अंगार में वो कूद पङा एक शबनम गिरी एक कतरा धुँआ उठा महक रही है, पिघल-२कर, इश्क-ए-मुहब्बत सुलघ रहा है वो अब धीरे-धीरे॥ गर्दिशें,खिजाऐं,बलाऐं रही मुसलसल पर ख्वाब!बर पलता रहा पल-पल