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ये ज़िंदगी भी इस जलती हुईं दीपक की तरह हैं कब कहा

ये ज़िंदगी भी इस जलती हुईं दीपक की तरह हैं 
कब कहाँ कैसे बुझ जाए कुछ पता नहीं

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  #DiyaSalaai