गलती हो गई माफ भी कर दो कोरोना से ए मेरे ईश्वर आजाद कर दो हम रोज मर्रा के ज़िंदगी में न जाने कितनी बार प्राकृतिक से खेल जाते हैं प्रकृति को जाने अंजाने तकलिफ पहुचाते है। हम सजा के हकदार है बहुत बड़े गुनाहगार है लेकिन एक बार कर दो माफी बस इतना ही होगा हमारे लिए काफी सफाई का ध्यान न रखना प्रकृति से खिलवाड़ करना अपनी इच्छा पूर्ति के लिए दुसरो को ठेस पहुचाना बस यही रह गया जीवन में है तभी कुदरत ने ऐसा मौत का खेल रचाया है। आज के बाद अब होगा न ऐसा प्रण लेते हैं हुई हमसे जो भी भुल उसकी झमा मांगते है अब रोक भी कुदरत का प्रकोप वर्षाना हुई हमसे गलती स्वीकारते है Shyam sundar bansal excuse