आज अपने इस मुकाम पर हैरान हूं ये सोचकर खुद की नज़रों से गिर खुद के विश्वास को तोड़ खुद की पहचान भुला मैंने क्या खोया क्या पाया क्या पाया खुद को खो कर काश के थम जाए अब सब मगर दिशाहीन की अनंत यात्रा की परिणति भला हो क्यूँकर #दिशाहीन #परिणति #खुद #खोया