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राम आजकल सोच भी रावण, कर्म भी रावण, युग भी रावण,

राम आजकल 
सोच भी रावण,
कर्म भी रावण,
युग भी रावण,
राम कहीं मन में छुप बैठे हैं,
अंहकार के वश में आ बैठे हैं,
अच्छाई का अपहरण हो सा चुका हैं,
द्वेष को स्थापित कर चुके हैं, 
मन से मन तक की ही कहानी हैं बस, 
फिर भी हम राम राज्य की दौड़ में हार चुके हैं।  एक दौर था जब कहने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी और दोस्त हाज़िर हो जाते थे। अब प्लान बनाकर भी कोई नहीं मिलता।
सारे त्यौहार नीरस होते जा रहे हैं।
#नहींमिलतेअब #collab #yqdidi
   #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi🌸🌞
राम आजकल 
सोच भी रावण,
कर्म भी रावण,
युग भी रावण,
राम कहीं मन में छुप बैठे हैं,
अंहकार के वश में आ बैठे हैं,
अच्छाई का अपहरण हो सा चुका हैं,
द्वेष को स्थापित कर चुके हैं, 
मन से मन तक की ही कहानी हैं बस, 
फिर भी हम राम राज्य की दौड़ में हार चुके हैं।  एक दौर था जब कहने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी और दोस्त हाज़िर हो जाते थे। अब प्लान बनाकर भी कोई नहीं मिलता।
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oshojain5923

Osho Jain

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