मेरी तन्हाइयों के चार दोस्त है, तीन दीवारें और एक खिड़की, दीवारें आसरा देती है किसी के होने का, खिड़की दिखाती है बाहर की दुनिया, और समझती है तुम अकेले कहा हो ? ये पेड़ है, पंछी है, हवा है, तुम हो, जब दीवारों से बात करते करते थक जाता है मन, तब खिड़की से कोई चिड़िया आवाज दे बुलाती है, हवाएं गुनगुनाती है गीत कोई, सूरज ढलते अलविदा कर रहा होता है मुझे, कल फिर सुबह लौट आने के वादे के साथ, रात यादों में सिमटने आती है, चांद हंसता है देख मुझे, एक दोस्त और है किताबें, जो ले जाती है उनकी दुनिया दिखलाने मुझे, मेरे यह दोस्त मेरी तन्हाई बांटते है, मुझे अपना जानते है, और कहते है अकेले कहा हो तुम ? ©Ajay Chaurasiya #Akele