Nojoto: Largest Storytelling Platform

तुम क्या भी बुद्धिजीवित हो वो किसी भी संजाल से पर

तुम क्या भी बुद्धिजीवित हो 
वो किसी भी संजाल से परे 
आजकल न वक़्त है उनके पास 
न कोई अोर ज़िन्दगी आस  
गुम वो केवल किसी छोर जो 
संजाल से लिपट जाना ही 
उनका ध्येय नहीं है 
केवल छुट्टी तक की होड़ है 
संजाल में एक अोर छाया है 
बस कुछ दिल ही रूप में 
टिके वो ही केवल है 
एक और भी है 
शब्द भी केवल है 
संवेदन अकेले जो हुए 
फिर जाल में बुने गये है 
दिल और बुद्धि की क्या बांट 
वो तो कहीं भी हमेशा से ऊलझे हुए है 
hittika #socialnetworking #hindipoetry
#life
तुम क्या भी बुद्धिजीवित हो 
वो किसी भी संजाल से परे 
आजकल न वक़्त है उनके पास 
न कोई अोर ज़िन्दगी आस  
गुम वो केवल किसी छोर जो 
संजाल से लिपट जाना ही 
उनका ध्येय नहीं है 
केवल छुट्टी तक की होड़ है 
संजाल में एक अोर छाया है 
बस कुछ दिल ही रूप में 
टिके वो ही केवल है 
एक और भी है 
शब्द भी केवल है 
संवेदन अकेले जो हुए 
फिर जाल में बुने गये है 
दिल और बुद्धि की क्या बांट 
वो तो कहीं भी हमेशा से ऊलझे हुए है 
hittika #socialnetworking #hindipoetry
#life
hittikakhanna8394

no writings

New Creator