खुदा की इबादत और तेरी चाहत दोनों एक सी है। मैं सज़दा करूँ के मुहब्बत मेरी आदत एक सी है। ख़ुदा में खो जाना या तेरा हो जाना देती राहत मुझे एक सी है। खुदा की इबादत और तेरी चाहत दोनों एक सी है। वो तेरी धड़कनो से जो साज़ चलती है, रूह के पार तक उतरती है। तेरी रूह में घुल जाना या मेरा तुझसा हो सा जाना मेरी हसरत एक सी है। खुदा की इबादत और तेरी चाहत दोनों एक सी है। रब का नूर कहुँ के तुझको कोई हूर कहुँ, ये बज़ाहत एक सी है। ख़ुदा की इबादत और तेरी चाहत दोनों एक सी है। मैं जन्नते खो आऊँ या बेख़वाब सा कभी हो जाऊँ, ये क़यामत एक सी है। ख़ुदा की इबादत और तेरी चाहत दोनों एक सी है। - क्रांति #इबादत