तलाक़ चलो आज तलाक़ लेते है भावनाओं से, एहसासों से और शपथ लेते है की खुद को इतना खूबसूरत निखारेंगे की कामयाबी भी खुद कदम चूमेगी तलाक होगा तो कुछ तुम सुधरोगे कुछ तुम्हारी भूले जब खुलेंगी भावनाओं से हटकर तुम्हारी आंखे मंजिल बस थोड़ी ही दूर नजर आएगी और वो तुम्हे देख मुस्कुराएगी ना जाने क्यों फिर भी किस्मत तुम्हे आजमाएगी तुम्हारी भावनाएं तुम्हे सच्चाई से दूर भटकाएगी भावनाओं से एहसासों से तुम ले लेना तलाक़ और फिर चले जाना वास्तविकता के साथ यूं तलाक़ तलाक़ कहते हुए तुम अपनी मंज़िल की ओर बढ़ जाना और पीछे सफर में जो छूटे उन्हें सफल होने के बाद माना लाना माना एहसासों से भावनाओं से तलाक़ लेना नहीं होता आसान लेकिन तुम चलना ही ऐसे पथ पर जहां तुम्हारी खुद की हो पहचान । ©Nikhat Saifi #तलाक़