गौर करो तो देखो मन से मन की गुफ्त्गू हो रही है सांची प्रीत को कोई बजह नही होती बो देखो प्रेम कली केसे पल्लवित हो रही है गुस्ताखियाँ हो गई,गुलज़ार था गुलमोहर से जो गुलशन उसी बहारे चमन के अरमानो को मचलने चले थे बो देखो खुशबू इत्रे इश्क की हर जगह महक रही है मन मीत से मिलकर मन का भबरां गुन गुन करे बो देखो मन की तितलियाँ केसे उड रही हैं guftgu