गुरु के रुप में भगवान का ही अवतरण समझना श्रेयस्कर है। सद्गुरु की शरण से बढ़कर कोई पद प्रतिष्ठा नहीं है। जीवन के रहस्यों को सुलझाने का हर कदम गुरु की ओर जाता है। इसलिए, गुरु की पूजा से सभी देवता प्रसन्न होते हैं। गुरु के बिना ज्ञान की पात्रता संभव नहीं। गुरु का सम्मान और उन पर आस्था, विश्वास व निष्ठा के रूप में गुरु दक्षिणा के पुष्प भेंट करना अभीष्ट है। दिशाहीन जीवन को दिशा देने का महानतम उपकार सदा सद्गुरु ही करता है। गुरुपूजा करने वाला शिष्य हर अवसर पर विजेता बनता है। प्रत्येक वाणी प्रतीक बनकर गुरुकृपा के अधीन ज्ञान के अमृतपान का अधिकारी हैं। #Gurupurnima #abhishek_ojha गुरु के रुप में भगवान का ही अवतरण समझना श्रेयस्कर है। सद्गुरु की शरण से बढ़कर कोई पद प्रतिष्ठा नहीं है। जीवन के रहस्यों को सुलझाने का हर कदम गुरु की ओर जाता है। इसलिए, गुरु की पूजा से सभी देवता प्रसन्न होते हैं। गुरु के बिना ज्ञान की पात्रता संभव नहीं। गुरु का सम्मान और उन पर आस्था, विश्वास व निष्ठा के रूप में गुरु दक्षिणा के पुष्प भेंट करना अभीष्ट है। दिशाहीन जीवन को दिशा देने का महानतम उपकार सदा सद्गुरु ही करता है। गुरुपूजा करने वाला शिष्य हर अवसर पर विजेता बनता ह